बीते छह माह से हांगकांग में जारी प्रदर्शन और आंदोलन की आग की गर्मी अब चीन तक पहुंचने लगी है। यही वजह है कि चीन के लिए हांगकांग की इस आग को शांत करना सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। इस मुद्दे वह कई तरफ से घिरा हुआ है। दरअसल, अमेरिका समेत कुछ और दूसरे देशों ने भी हांगकांग के मुद्दे पर जब से चीन को नसीहत दी है तब से वह ज्यादा चिढ़ गया है और परेशान भी है। वहीं दूसरी तरफ हांगकांग में आंदोलनकारी लगातार प्रशासन पर हावी हो रही हैं। बिजनेस हब कहे जाने वाले हांगकांग में फिलहाल मैट्रो, हवाई सेवा, शॉपिंग मॉल, सिनेमा तक सब कुछ पूरी तरह से बंद है।
सब कुछ बंद
इतना ही नहीं आंदोलनकारियों ने हांगकांग द्वीप को कोवलून जिले से जोड़ने वाली और हांगकांग की शान मानी जाने वाली क्रॉस हॉर्बर टनल को भी बंद कर दिया है। इसकी वजह से सड़कों पर गाडि़यों की लंबी कतारें आसानी से देखी जा सकती हैं। इस टनल से हर रोज करीब सवा लाख गाडि़यां गुजरती हैं। 1972 में बनी चार लेन की यह सुरंग लगभग दो किमी लंबी है। इसका सीधा असर यहां की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। यही वजह है कि हांगकांग की अर्थव्यवस्था में आई गिरावट के असर से चीन बच नहीं सकेगा।
जीडीपी में गिरावट
यहां पर ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि बीते एक दशक में पहली बार तीसरी तिमाही में यहां की जीडीपी 3.2 फीसद पर पहुंच गई है। हांगकांग की सरकार ने भी माना है कि शहर की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट के दौर में है और मंदी का सामना कर रही है। चीन इस आंदोलन को दबाने के लिए कई तरह के प्रयास कर रहा है। चीन की सरकारी मीडिया इसके लिए कुछ इमेजेस और वीडियो का लगातार प्रचार कर रही है। ग्लोबल टाइम्स के वेब एडिशन में एक वीडियो दिखाया जा रहा है जिसमें एक व्यक्ति को आग की लपटों में घिरा हुआ तक दिखाया गया है। अखबार का कहना है कि यह व्यक्ति प्रदर्शनकारियों को जब शांत करने की कोशिश कर रहा था तब उनमें से किसी ने अत्यंत ज्वलनशील पदार्थ फेंक कर आग लगा दी।
यूं शुरू हुआ आंदोलन
आपको बता दें कि एक प्रत्यर्पण कानून के विरोधस्वरूप शुरू हुआ ये आंदोलन अब काफी व्यापक और उग्र भी हो गया है। इस कानून के तहत हांगकांग से अपराधियों को चीन भेजने और वहां पर मुकदमा चलाने का प्रावधान था। इस बिल का प्रारूप तैयार कराने और इसको पास करवाने में दो लोग बेहद अहम थे। इनमें पहला नाम हांगकांग की नेता कैरी लाम का है तो दूसरा नाम उनकी मुख्य कानूनी सलाहकार टेरेसा चेंग का है। लोगों के जबरदस्त विरोध के बाद बिल को वापस ले लिया गया है लेकिन यहां के लोगों में गुस्सा बरकरार है।आंदोलनकारियों ने पिछले दिनों कई दुकानों में आग तक लगा दी थी। इसके बाद आंदोलनकारियों और पुलिस में हिंसक झड़पें तक हुई हैं। अभी तक तीन लोग इस आंदोलन की भेंट चढ़ चुके हैं। इनमें दो छात्र और एक बुजुर्ग शामिल है। हांगकांग के मसले पर दनिया इस बात को लेकर चिंतित है कि कहीं चीन की सरकार इस मुद्दे को भी थियानमेन चौक स्क्वायर मामले की तरह न निपटे। वहीं चीन भी इससे बचने की कोशिश कर रहा है। चीन नहीं चाहता है कि पुराना इतिहास दोहराकर विश्वभर में उसकी छवि धूमिल हो।
स्पेशल एडमिनिस्ट्रेटिव जोन
हालांकि हांगकांग के लोगों की बात की जाए तो वह अब ये मानने लगे हैं कि चीन लगातार उनसे उनका हक और उनकी आजादी छीन रहा है। गौरतलब है कि स्पेशल एडमिनिस्ट्रेटिव जोन में आने वाले हांगकांग को रक्षा और विदेश मामले में कानून बनाने का अधिकार नहीं है। हालांकि यहां की मुद्रा चीन की मुद्रा से अलग है। चीन में जहां युआन चलता है वहीं हांगकांग मं यहां का डॉलर चलता है। जानकार मानते हैं कि अब यह मामला विवादित बिल से कहीं आगे निकल गया है। अब हांगकांग के लोग अपने लिए चीन से पूरी तरह से आजादी पर आमादा हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि हांगकांग की पार्लियामेंट में वर्तमान में चीन समर्थक सांसदों का बहुमत है, लिहाजा उनका विश्वास सरकार से उठ गया है। तिब्बत के बाद हांगकांग भी इसी राह पर आगे बढ़ता दिखाई दे रहा है। वर्तमान स्थिति पर काबू पाने के लिए चीन ने सड़कों पर पिपुल्स लिब्रेशन आर्मी के जवानों को उतारा है।
नहीं आ सकती चीन की सेना
गौरतलब है कि चीन स्पेशल एडमिनिस्ट्रेटिव जोन की वजह से चीन की सेना हांगकांग में नहीं आ सकती है। हालांकि उसका एक बेस यहां पर है जहां पर दस हजार से अधिक जवान हर वक्त रहते हैं। लेकिन कानूनन चीन की सेना केवल युद्ध की स्थिति में ही हांगकांग में आ सकती है। चीन की सेना हांगकांग के आंतरिक मामलों में दखल नहीं दे सकती है। यही वजह है कि जब हांगकांग में मौजूद सेना के जवान सड़कों पर आए तो उनका काम केवल सड़क पर रुकावटों को दूर करना था। इसके बाद वह वापस बैरक में लौट गए और हांगकांग पुलिस ने पूरी स्थिति संभाल ली।
डरे हुए हैं लोग
यहां की खराब होती स्थिति से यहां पर पढ़ने और नौकरी करने वाली चीनी मूल के लोग भी काफी डरे हुए हैं। उन्होंने यहां से पलायन करना भी शुरू कर दिया है। पुलिस की मानें तो अब वह यहां की सबसे प्रतिष्ठित चाइनीज यूनिवर्सिटी को हथियारों और आंदोलनकारियों का बड़ा अड्डा मान रही है। पुलिस का कहना है कि आंदोलनकारियों ने यहां पर हथियारों के साथ प्रेट्रोल बम तक एकत्रित कर रखे हैं। पुलिस समेत हांगकांग और चीन की सरकार इस पूरे मसले पर बेहद फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। अब तक करीब 4000 लोगों को हिरासत में लिया गया है। आंदोलन के चलते एक देश दो व्यवस्था पर चलने वाले हांगकांग की गिरती अर्थव्यवस्था ने चीन को भी अपने शिकंजे में ले रखा है।